बमबाज Guddu Muslim के साथ है अतीक की पत्नी शाइस्ता! दोनों सरेंडर करने की फिराक में

 Guddu Muslim is accompanied by Atiq's wife Shaista! Both in the mood to surrender

उमेश पाल हत्याकांड (Umeshpal Hatya Kand)  के बाद से ही उत्तर प्रदेश पुलिस को अतीक अहमद (Atiq)  की पत्नी शाइस्ता प्रवीण (Shaista Praveen) और बमबाज गुड्डू मुस्लिम (Guddu Muslim) की तलाश है। पहले बेटे असद के एनकाउंटर फिर पति अतीक अहमद और देवर अशरफ अहमद की हत्या के बाद भी शाइस्ता सामने नहीं आई है। अब जानकारी समाने आई है कि गुड्डू मुस्लिम अतीक की पत्नी शाइस्ता प्रवीण को बचाने में जुटा हुआ है। हालांकि, अब पुलिस की गिरफ्त से बचना मुश्किल हो चुका है। ऐसे में दोनों एक साथ सरेंडर कर सकते हैं। बताया जा रहा है कि दोनों दिल्ली या गुजरात में सरेंडर कर सकते हैं। यूपी एसटीएफ की दो टीमों को दोनों प्रदेशों में भेजा गया है ताकि सरेंडर के तुरंत बाद दोनों को यूपी लाया जा सके।


पुलिस सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, अतीक का स्पेशल शूटर और बमबाजी करके हत्या करने में एक्सपर्ट गुड्डू मुस्लिम उसकी पत्नी शाइस्ता के साथ है। उमेशपाल की हत्या के बाद गुड्डू मुस्लिम को ही शाइस्ता को छिपाने और बचाने का जिम्मा सौंपा गया। बताया जा रहा है कि दोनों एक साथ ही ठिकाने बदलते रहे हैं। अब दोनों दिल्ली या गुजरात में सरेंडर कर सकते हैं। बताया जा रहा है कि उन्हें यूपी पुलिस पर भरोसा नहीं है।

उमेश पाल की हत्या के बाद यूपी पुलिस ने गुड्डू मुस्लिम पर 5 लाख रुपए का इनाम रखा है। वहीं 'लेडी डॉन' कही जाने वाले शाइस्ता पर 50 हजार रुपए का इनाम है। उमेश पाल हत्याकांड में गुड्ड जहां सीसीटीवी फुटेज में बम बरसाते हुए दिखा था तो शाइस्ता को इस हत्याकांड की साजिशकर्ता बताया जा रहा है। अब दोनों के सरेंडर को लकेर यूपी एसटीएफ को अलर्ट किया गया है। हत्या के वक्त अशरफ की जुबान पर गुड्डू मुस्लिम का ही नाम था। इसके बाद यह भी अटकलें लग रही हैं कि वह बमबाज को लेकर क्या कहना चाहता था। यह भी कहा जा रहा है कि गुड्डू मुस्लिम ने अतीक को धोखा दे दिया। उसी ने असद और गुलाम के लोकेशन की जानकारी पुलिस को दी थी। हालांकि, सच गुड्डू के पुलिस गिरफ्त में आने के बाद ही सामने आएगा।

गुड्डू मुस्लिम ने स्कूली दिनों में ही आपराधिक प्रवृत्ति अपना ली थी। बताया जाता है कि स्कूल में पढ़ते समय ही वह लूट जैसे अपराध में शामिल होने लगा था। बाद में परिवार ने उसे पढ़ने के लिए लखनऊ भेजा। लेकिन यहां भी उसकी उसी तरह की हरकतें जारी रहीं। 1997 में उसने एक स्कूल टीचर की हत्या कर दी थी और पहली बार गिरफ्तार किया गया था। उसने अपना अपराध स्वीकार किया लेकिन सबूतों के अभाव में सजा नहीं हुई। 1997 में उसने एक इंजीनियर की जान ली। इसके अलावा वह फेक नोट कारोबार से भी जुड़ा रहा और जेल भी गया। बाद में वह अतीक का भरोसेमंद साथी बन गया। बताया जाता है कि अतीक के जेल चले जाने के बाद वही पूरे गैंग को संभाल रहा था।

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