Bilkis Bano Case: सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की बिलकिस बानो की पुनर्विचार याचिका, जानें पूरा मामला

Bilkis Bano Case: Supreme Court dismisses review petition of Bilkis Bano, know the whole matter


Supreme Court Dismisses Bilkis Bano Plea: सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court) ने बिलकिस बानो (Bilkis Bano) की पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी है। याचिका में बिलकिस बानो ने मई में दिए गए सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें गुजरात सरकार को 1992 के जेल नियमों के तहत 11 दोषियों की रिहाई के लिए अनुमति दी थी। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने बिलकिस बानो की उस याचिका पर सुनवाई करने से किया इनकार कर दिया था जिसमें उन्होंने 11 दोषियों की सजा में छूट के खिलाफ याचिका पर सुनवाई के लिए जल्द पीठ गठित करने की मांग की थी।

सुनाई गई थी सजा


गौरतलब है कि, गुजरात सरकार की सिफारिश के बाद 2002 में बिलकिस बानो से दुष्कर्म के बाद उनके परिवार के सदस्यों की हत्या के मामले में दोषी पाए गए इन 11 लोगों को मुंबई की अदालत ने उम्रकैद की सजा सुनाई थी। इसके बाद ऊपर की अदालतों ने भी इस सजा को बरकरार रखा था। लेकिन, इसी साल 15 अगस्त को आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में समय गुजरात सरकार ने उनको पूर्व रिहाई का लाभ दे दिया था।

1992 वाली नीति


गुजरात में कैदियों की सजा माफ करने के लिए 2014 में गृह विभाग ने नए दिशा निर्देश और नीतियां जारी की गईं। इसमें कहा गया है कि दो या इससे अधिक लोगों की सामूहिक हत्या या सामूहिक दुष्कर्म करने वाले कैदियों की सजा माफ नहीं की जाएगी। इतना ही नहीं, उन्हें समय से पहले रिहाई भी नहीं दी जा सकती। बिलकिस बानो के मामले में ये नियम नहीं लागू किया गया। इसके पीछे कारण ये रहा कि, पूरे मामले में सीबीआई ने की और 11 लोगों को दोषी करार दिया गया। गुजरात सरकार की वर्तमान नीति के हिसाब से इनकी रिहाई नहीं हो सकती थी।

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1992 की नीति से रिहाई के लिए पूरा मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। कोर्ट ने कहा, सभी आरोपियों पर वही नीति लागू होगी जिस दिन इन आरोप सिद्ध हुआ और दोषी पाए गए। मामला 2002 का था लिहाजा 1992 वाली नीति लागू हुई। 1992 में लागू हुआ कानून कहता है, अगर किसी कैदी ने 14 साल पूरे कर लिए हैं और सजा माफी के लिए अनुरोध करता है तो उस पर विचार किया जा सकता है। सरकार के पास उसकी सजा खत्म करके रिहाई करने का अधिकार हैं।  

2002 में हुए थे दंगे


बता दें कि, गोधरा में ट्रेन जलाने की घटना के बाद भड़के दंगों से भागते समय बिलकिस बानो 21 साल की और पांच महीने की गर्भवती थीं। बानो के साथ दुष्कर्म हुआ था और उनके परिवार के सात सदस्यों की हत्या कर दी गई थी, जिसमें बानो की तीन साल की बेटी भी शामिल थी। मामले की जांच सीबीआई को सौंपी गई थी और सुप्रीम कोर्ट ने मुकदमे को महाराष्ट्र की एक अदालत में स्थानांतरित कर दिया था। मुंबई की एक विशेष सीबीआई अदालत ने 21 जनवरी, 2008 को बिलकिस बानो के साथ सामूहिक दुष्कर्म और उसके परिवार के सात सदस्यों की हत्या के आरोप में 11 को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।

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