Success Story: पिता रेलवे स्टेशन पर बेचते हैं चाय, बेटे ने रसोई में पढ़ाई कर क्वालिफाई किया NEET, अब बनेगा डॉक्टर

Success Story: Father sells tea at railway station, son qualified NEET by studying in kitchen, now he will become a doctor


 

"कहते हैं मंजिलें उनको मिलती हैं जिनके सपनों में जान होती है, पंखों से कुछ नहीं होता हौसलों से उड़ान होती है." इन पंक्तियों को सच कर दिखाया है उमेश कुमार शर्मा ने, जिन्होंने तमाम दुश्वारियों के बावजूद हार नहीं मानी. उमेश कुमार ने नीट की परीक्षा में सफलता हासिल की है. उनकी ऑल इंडिया रैंक 9905 है जबकि ईडब्ल्यूएस रैंक 1337 है.

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पिता रेलवे स्टेशन पर करते हैं वेंडर का काम


उमेश मूलत: बहराइच के गांव बाऊनपुर के रहने वाले हैं. उनके पिता का नाम कृष्णानन्द शुक्ला है. उमेश का डॉक्टर बनने का सपना आसान नहीं था. पिता रेलवे स्टेशन पर वेंडर का काम करते हैं और चाय व अन्य सामान बेचते हैं. उमेश ने कक्षा 10 में 73% और 12वीं में 80 प्रतिशत अंक के साथ परीक्षा पास की. आर्थिक संकट के बावजूद किसी तरह नीट की तैयारी में जुटे. तैयारी के दौरान ही उन्हें कोरोना हो गया. इसके बावजूद उमेश ने हार नहीं मानी. कड़ी मेहनत और लगन के दम पर नीट की परीक्षा में अच्छी रैंक हासिल की. बहुत जल्द उनका डॉक्टर बनने का सपना पूरा हो जाएगा. उमेश कहते हैं कि किसी न किसी मेडिकल कॉलेज में उन्हें जरूर प्रवेश मिल जाएगा.  

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हॉस्टल के किचन को बनाया स्टडी रूम


बता दें कि, उमेश नीट की तैयारी के लिए पहले लखनऊ और फिर कानपुर आए. यहां साल भर पहले काकादेव की एक कोचिंग में मात्र 500 रुपये फीस पर एडमिशन हो गया. उमेश के पास रहने की जगह नहीं थी तो एक हॉस्टल की रसोई में अड्डा जमा लिया और डटकर पढ़ाई शुरू कर दी. यहां रहने के लिए भी दो हजार रुपये देने पड़ते थे, जिसका खर्च कोचिंग सेंटर ने उठाया.

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तैयारी के दौरान किडनी में हो गई थी पथरी


उमेश के मुताबिक, पिता कृष्णानन्द शुक्ला के कहने पर उन्हें बीएससी करनी पड़ी. उसी दौरान उनकी किडनी में पथरी हो गई. इस पर पिता जी ने कहा कि पहले ऑपरेशन कराओ तभी आगे पढ़ाई करने दूंगा. डॉक्टर बनने का जूनून और तैयारी के कारण उमेश ने अपना ऑपरेशन करावा और तैयारी में जुट गए. नतीजा आज सबके सामने है.

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