BPSC टॉपर गौरव सिंह का पहला सपना रह गया अधूरा, ऐसे बनें SDM

BPSC टॉपर गौरव सिंह का पहला सपना रह गया अधूरा, ऐसे बनें SDM

बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) 65वीं के टॉपर गौरव सिंह तीसरी बार में पूरे प्रदेश में टॉप कर गए हैं। नंबर वन रैंक लाने वाले गौरव ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है, लेकिन जॉब छोड़कर सिविल सेवा परीक्षाओं की तैयारी शुरू कर दी थी। दैनिक भास्कर से बातचीत में उन्होंने बताया- 'पिता की मौत के बाद मां ने ही पूरी तरह से पढ़ाया। उन्हीं की बदौलत नंबर वन भी आया हूं।'

सवाल: कहां से हुई है पढ़ाई?

जवाब: बिहार के रोहतास जिले के चमरहा गांव के रहने वाले गौरव सिंह की पांचवीं क्लास तक की पढ़ाई गांव में ही हुई। इसके बाद बनारस के सेंट्रल हिंदू स्कूल से 12वीं की परीक्षा पास की। फिर कलिंगा विश्वविद्यालय से मैकनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री ली।

सवाल: इंजीनियरिंग से सिविल सर्विस की ओर कैसे आए?


जवाब: इंजीनियरिंग की पढ़ाई के दौरान ही सिविल सर्विस की ओर जाने का फैसला कर लिया था। डिग्री पूरी होने के बाद कुछ दिनों तक पुणे में जॉब किया। इसके बाद जॉब छोड़कर सिविल सर्विस की तैयारी करने लगा। ऑप्शनल विषय भूगोल रखा।

सवाल: कितनी बार प्रयास किया तो सफलता मिली?


जवाब: तीसरी बार में नंबर वन रैंक मिला है। इससे पहले 64वीं BPSC की परीक्षा में 144वां स्थान मिला था। निदेशक सामाजिक सुरक्षा के पद पर ज्वाइनिंग होने वाली थी।

सवाल: नंबर वन रैंक की जानकारी कैसे मिली?


जवाब: रिजल्ट की जानकारी मिलने पर मोबाइल में टेलीग्राम खोला, तो उसमें लिखा था कि BPSC में गौरव टॉपर। अंग्रेजी में गौरव की सपेलिंग दूसरी लिखी थी, तब रौल नंबर मिलाया। इसके बाद पता चला कि हम ही टॉपर हैं। फिर मां को फोन कर जानकारी दी।

सवाल: सफलता में परिवार की भूमिका कितनी?


जवाब: सबसे बड़ी भूमिका मेरी मां की है। पिता की मौत के बाद मां ने ही घर को संभाला और बच्चों को पढ़ाया। पिता मनोज कुमार सिंह एयरफोर्स में थे। पिता की धुंधली यादें ही साथ में है, क्योंकि उनका काफी पहले देहांत हो गया था। मां शशि देवी उत्क्रमित मध्य विद्यालय मे पंचायत शिक्षिका हैं।

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