आईएएस बनने के लिए कितनी रैंक की होती है जरूरत, जानिए रिजर्व कैटेगरी को कितनी मिलती है छूट?

आईएएस बनने के लिए कितनी रैंक की होती है जरूरत, जानिए रिजर्व कैटेगरी को कितनी मिलती है छूट?

How Much Rank Needed for IAS Post: आप में से अधिकतर लोग यूपीएससी (UPSC) सिविल सर्विस परीक्षा से परिचित होंगे. यूपीएससी एग्जाम को क्लियर करने के बाद ही देश के सबसे प्रतिष्ठित पदों में शामिल आईएएस (IAS) पर किसी की नियुक्ति हो सकती है, इस बारे में भी आप जानते होंगे, लेकिन एक बड़ा सवाल जिसका जवाब सबको मालूम नहीं होता, वो ये है कि आखिर इस एग्जाम में सैकड़ों स्टूडेंट्स पास होते हैं, लेकिन सब तो आईएएस नहीं बन पाते, आखिर आईएएस मिलने का क्राइटेरिया क्या है, कितने रैंक वालों को आईएएस मिलता है. आइए आपके इन्हीं सवालों का जवाब आज हम आपको बताने जा रहे हैं.

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इतनी होनी चाहिए रैंकिंग

अलग-अलग वर्गो में कितने रैंक तक के विद्यार्थी आईएएस (IAS) बनेंगे यह कई बातों पर निर्भर करता है, लेकिन आमतौर पर अगर औसमत की बात करें तो सामान्य वर्ग के कैंडिडेट्स को आईएएस बनने के लिए कम से कम 90 रैंक के अंदर होना चाहिए. वहीं, ओबीसी और उसके साथ EWS वर्ग के कैंडिडेट्स की रैंकिंग कम से कम 300 के अंदर होनी चाहिए, जबकि sc/st वर्ग के लिए यह रैंकिंग 450 के अंदर होनी चाहिए. अब मान लीजिए टॉप 90 में से 15 कैंडिडेट्स ने जिन्हें आईएएस मिल सकता था, लेकिन उन्होंने ये नहीं लिया तो 90 के बाद वाले 15 कैंडिडेट्स को यह चुनने का मौका मिलेगा. इसके अलावा आईएएस का मिलना खाली सीटों पर भी निर्भर करता है.

कैसे होता है रैंक का निर्धारण

अब क्योंकि हमने ऊपर बताया कि रैंक से ही आईएएस का खेल होता है, तो कई लोग जानना चाहेंगे कि आखिर यूपीएससी में रैंकिंग कैसे तय होती है. यूपीएससी हर साल इसकी परीक्षा लेता है. यह परीक्षा 3 स्टेप्स में होती है. पहला राउंड प्रीलिम्स का होता है. इसे क्वॉलिफाई करने वाले mains एग्जाम तक पहुंचते हैं. जो लोग मेंस एग्जाम पास कर जाते हैं उन्हें इंटरव्यू से गुजरना होता है. यूपीएससी प्रीलिम्स (prelims) में दो-दो घंटे के 2 पेपर होते हैं।

पहला paper general studies का होता है, जिसके अंको के आधार पर cut off तैयार होता है, cut off पार करने वाले उम्मीदवार ही आगे की परीक्षा में बैठ सकते हैं. दूसरा पेपर CSAT, qualifying paper होता है, यानी कि इसमें सिर्फ 33% अंक लाने से उम्मीदवार का काम चल जाता है. जैसे 200 नंबर के paper में 67 नंबर लाना ज़रूरी होता है. खास बात ये है कि अगर कैंडिडेट ने पहले पेपर में कट ऑफ क्लियर किया है, लेकिन दूसरे में  वह क्वॉलिफाइंग नंबर नहीं लाए तो प्री-लिम्स क्लियर नहीं माना जाएगा. दूसरे शिफ्ट में प्रीलिम्स के दोनों पेपर होते हैं.

प्रीलिम्स पास करने के बाद उम्मीदवार मेंस की परीक्षा में बैठ सकते हैं. मेंस में कुल 9 पेपर देने होते हैं. इसमें लैंग्वेज पेपर को छोड़कर बाकी सारे papers के अंक मेरिट लिस्ट तैयार करने के समय जोड़े जाते हैं. जो बच्चे इसे क्लियर करते हैं उनहें इंटरव्यू के लिए बुलाया जाता है. प्रीलिम्स, मेंस और इंटरव्यू तीनों के अंक जोड़कर फाइनल रिजल्ट तैयार किया जाता है. 

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