एमिटी विश्वविद्यालय में ‘‘सतत कृषि के लिए आधुनिक माइक्रोस्कोपी’पर पांच दिवसीय कार्यशाला का शुभारंभ

देश में हरित क्रांति, श्वेत क्रांति, पीली क्रांति और नीली क्रांति के बाद हम कृषि सहित,बागवानी,दुग्ध और मत्स्य उत्पादन के क्षेत्र में किसी भी अन्य देशों पर निर्भर नहीं है। वहीं, इतनी बृहद क्रांति के बावजूद आज विश्व में एक चौथाई जनसंख्या भूखी है और विश्व के 40 प्रतिशत बच्चे कुपोषण का शिकार है।
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वैश्विक जीरो हंगर चैलेंज हम सभी के सामने एक बहुत बड़ी चुनौती है। ये बात इंफाल के सेंट्रल एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के पूर्व चांसलर और नेशनल एकेडमी ऑफ एग्रीकल्चर सांइसेस के पूर्व अध्यक्ष डा आरबी सिंह ने सेक्टर-125 एमिटी विवि में सतत कृषि के लिए आधुनिक माइक्रोस्कोपी विषय पर आयोजित पांच दिवसीय कार्यशाला के पहले दिन कही।
उन्होंने कहा कि प्राकृतिक कृषि संसाधनों की चुनौती को बताते हुए कहा कि घटते संसाधन, जलवायु परिवर्तन, सिंचाई के लिए जल की कमी, मृदा स्वास्थ्य, मृदा में माइक्रोन्यूट्रीयेंट की कमी आदि चुनौतियां है जिसका हल हमें शोध के जरिए करना होगा।देश में सभी के भोजन हेतु खाद्य सुरक्षा बिल लागू किया गया है। भारत आज भी वैश्विक परिपेक्ष्य में अपने कृषि प्रदर्शन को और बेहतरीन कर रहा है। डा सिंह ने कहा कि अन्न की नयी वैराइटी विकसित हो रही है, उत्पादन से लेकर बाजार और बाजार से ग्राहक तक की श्रृखंला को मजबूत बनाया गया है।
ज्ञान से कृषि विकास
डा डब्लू सेल्वामूर्ती ने कहा कि कार्यशाला का उद्देश्य शोधार्थियों और वैज्ञानिकों की क्षमता निर्माण करना है। आज हम कृषि के क्षेत्र में अगर आत्मनिर्भर बने है तो इसका संपूर्ण श्रेय कृषकों और कृषि वैज्ञानिकों को जाता है। अपने ज्ञान का उपयोग कर वर्तमान चुनौतियां जैसे सतत कृषि के विकास, मृदा स्वास्थ्य को सुदृढ़ बनाने में करें और इस प्रकार की कार्यशाला में प्राप्त की गई आधुनिक उपकरणों की जानकारी आपके लिए अवश्यक सहायक होगी।