सिपाही से सीधे DSP बनीं बिहार की बबली! गोद में बच्चा और क्रैक किया BPSC, लोगों ने कहा 'मां तुझे सलाम'

Babli of Bihar became DSP straight from constable! Baby in lap and cracked BPSC, people said 'Maa tujhe salute'

महिला सिपाही बबली कुमारी बेगूसराय में कार्यरत हैं, राजगीर प्रशिक्षण केंद्र के लिए विरमित करने से पहले बेगूसराय के पुलिस अधीक्षक एसपी योगेंद्र कुमार ने उन्हें सम्मानित किया। वहीं स्थानीय लोगों ने कहा कि बबली कुमारी ने अपनी कड़ी मेहनत और लगन से यह मुकाम हासिल किया है।

वह एक मां के फ़र्ज़ के साथ-साथ नौकरी को बखूबी अंजाम देते हुए डीएसपी बनी है। इस मां को सलाम है। आपको बता दें की बबली कुमारी ने खगड़िया में बतौर कॉन्स्टेबल 2015 में अपने सेवा की शुरुआत की थी। मौजूदा वक़्त में वह पुलिस लाइन बेगूसराय में सेवा दे रही हैं। वह भागलपुर (बोध गया) के रहने वाले रोहित कुमार की पत्नी की आज हर तरफ सराहना हो रही है।

2015 में हुआ था कॉन्स्टेबल के लिये चयन 


बबली कुमारी ने अपनी संघर्ष की कहानी बताते हुए कहा कि उन्हें तीसरी बार में कामयाबी मिली है। चूंकि वह घर की बड़ी बेटी थी, इसलिए घर की जिम्मेदारियों को निभाने के लिए सरकारी नौकरी की तैयारी कर रही थीं। 2015 में कॉन्स्टेबल पद के लिये चयनित हुई। घर की आर्थिक स्थिति सही नहीं थी इसलिए उन्होंने अपनी कोशिश जारी रखी।

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उसी कोशिश का नतीजा है कि आज उनका चयन डीएसपी पद के लिए चयन हुआ है। बबली कुमारी की सहयोगियों ने बताया कि वह सिपाही की ड्यूटी को बखूबी अंजाम देने के साथ ही अपनी परीक्षा के लिए तैयारी भी करती थी। उसकी मेहनत रंग लाई और आज वह सबको गौरवांवित कर रही है।


राजगीर ट्रेनिंग सेंटर में लेंगी प्रशिक्षण 


बेगूसराय पुलिस अधीक्षक योगेंद्र कुमार ने कहा कि यह बेगूसराय के लिए बहुत ही फ़ख्र की बात है। महिला सिपाही ने बीपीएससी क्रैक किया था वह डीएसपी के लिए चयनित हुई हैं। बेगूसराय से विरमित होकर बहुत ही जल्द वह राजगीर ट्रेनिंग सेंटर जा रही हैं। एसपी योगेंद्र कुमार ने कहा कि बबली कुमारी जिला पुलिस बल की होनहार सिपाही है। उन्होंने ड्यूटी के बाद वक्त निकाल कर अपना सपना साकार तो किया ही है। इसके साथ ही अपने सहकर्मियों के लिए प्रेरणास्रोत भी बनी हैं

BABLI DSP

मेहनत करने से कामयाबी ज़रूर मिलती है 

डीएसपी में चयनित महिला सिपाही बबली कुमारी ने बताया कि वह अपने घर की बड़ी बेटी थी। बड़ी बेटी होने के नाते घर ज़िम्मेदारियों का निर्वहन भी करना था। इसलिए उन्होंने सरकारी नौकरी की कोशिश जारी रखी। पहली 2015 में कॉन्स्टेबल पद पर चयन हुआ और खगड़िया में पोस्टिंग हुई।

सरकारी नौकरी मिलने के बाद भी मेहनत करती रही क्योंकि घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए जारी कोशिश की वजह से मुझे कामयाबी मिली। मैं सभी छात्रों को यही कहना चाहूंगी की वह मेहनत करेंगे तो उसका फल ज़रूर मिलेगा। पहली प्रयास में कामयाबी नहीं मिलने पर भी हार नहीं माननी चाहिए।


 

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