Success Story: पान लगाते-लगाते हासिल की कामयाबी, 11साल की मेहनत हुई सफल, चौथे प्रयास में मिली सफलता

 पान लगाते-लगाते हासिल की कामयाबी,11 साल की मेहनत हुई सफल, चौथे प्रयास में मिली सफलता

उत्तर प्रदेश के हरदोई उन्नाव मार्ग पर जिस पान की दुकान से पिता फूलचंद्र गुप्ता ने 50 वर्षों तक परिवार का पालन पोषण किया था, बड़ा बेटा होने के नाते नीतू गुप्ता ने उस विरासत को संभाला। वह दुकान पर तो बैठे, लेकिन मन में प्रशासनिक अफसर बनने की इच्छा कहीं न कहीं उन्हें परेशान करती रही।

अपने सपने को पूरा करने के लिए प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी शुरू की। मंजिल भले ही नहीं मिली, लेकिन बेसिक शिक्षा विभाग में अध्यापक भी बन गए। मेहनत जारी रखी और आखिरकार चौथे प्रयास में पीसीएस 2021 पास कर लिया है। 170वीं रैंक की वजह से नीतू को अच्छा पद मिल जाएगा लेकिन यह उनकी मंजिल नहीं है। वह कहते हैं मैं ऊंचे प्रशासनिक पद के लिए प्रयास जारी रखूंगा।

अपने संघर्षों का उल्लेख करते हुए नीतू बताते हैं मैंने प्राथमिक शिक्षा एक छोटे से विद्यालय से की थी। जिसके बाद बारहवीं सुभाष इंटर कालेज, स्नातक, परास्नातक, राजकीय इंदिरा गांधी महाविद्यालय बांगरमऊ नगर से की। बीएड, एमएड, नेट (शिक्षाशास्त्र) की शिक्षा कानपुर विश्वविद्यालय से प्राप्त की। स्नातक करने के पश्चात 2001 से बांगरमऊ नगर में प्रतियोगी छात्रों को मार्गदर्शन देने के लिए कोचिंग शुरू कर की।

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इतना पढ़ने के बाद भी एक नौकरी पाने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ा। खर्च चलाने के लिए निजी स्कूलों में अध्यापन कार्य भी किया। इसके बाद जाकर कहीं वर्ष 2010 के बाद से पीसीएस को लक्ष्य बनाकर तैयारी शुरू की। एक वर्ष प्रयागराज में रहकर कोचिंग की। लोवर पीसीएस 2013 के साक्षात्कार के लिए 17 दिसंबर 2015 को वह प्रयागराज गए थे और मां की मौत की दु:खद सूचना मिली। अंतिम चयन पांच नंबरों से नहीं हो पाया।

नीतू कहते हैं एक बार नहीं बल्कि इस तरह अलग-अलग कारणों से तीन-तीन असफलता हाथ लगी, पर मैंने हार नहीं मानी। शायद यही इस बार मेरे चयन की वजह बनी। मेरा मानना है कि आत्म विश्वास मजबूत और ईश्वर पर भरोसा रखिए। आपके साथ अन्याय नहीं होगा। पिता फूलचंद्र वृद्धावस्था में बेटे को मिली सरकारी नौकरी से खुश हैं। वह चाहते हैं बेटा प्रशासनिक अफसर बनकर ग्रामीण छात्रों के लिए शिक्षा क्षेत्र में सुधार करना चाहते है।

किताबों से दोस्ती करो वो आपको एक दिन बड़ी पार्टी देंगी
नीतू कहते हैं संघर्ष के दिनों में उन्हें मित्रों का बहुत सहयोग मिला। किताबें उपलब्ध करवाने में कई मित्रों ने बहुत मदद की। चयन के बाद उन्होंने संदेश भी भेजा किताबों से दोस्ती करो वो आपको एक दिन बड़ी पार्टी देंगी।

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