Delhi-NCR Pollution: दमघोंटू हवा की कैद में दिल्ली-NCR, सांस फूलने के साथ जोड़ों में बढ़ रहा दर्द

Delhi NCR News: दिल्ली में जहरीली हवा के चलते स्वास्थ्य आपातकाल जैसी हालत बन गई है। गुरुवार को वायु गुणवत्ता सूचकांक 450 अंक पर पहुंच गया। यह गंभीर (सीवियर प्लस) श्रेणी से सिर्फ एक बिन्दु नीचे है। सफर का अनुमान है कि अगले दो दिनों के बीच भी दिल्ली के लोगों को जहरीली हवा में सांस लेनी पड़ेगी।
पिछले एक सप्ताह से लोग भयावह प्रदूषण का सामना कर रहे हैं। आमतौर पर दीपावली के बाद दिल्ली के लोगों को प्रदूषण की परेशानी झेलनी पड़ती है। लेकिन, इस बार अलग-अलग वजहों से दीपावली पर प्रदूषण का स्तर अपेक्षाकृत कम रहा। लेकिन, दीपावली के दो दिन बाद से ही इस स्तर में तेजी से इजाफा हुआ है।
AQI 450 पर
एक नवंबर को दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक 400 अंक से ऊपर यानी गंभीर श्रेणी में पहुंच गया था। अगले दिन यानी दो नवंबर को हवा की दिशा में बदलाव के चलते इसमें हल्की गिरावट आई थी। लेकिन, गुरुवार को हवा में प्रदूषण और बढ़ गया है। केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक, गुरुवार को वायु गुणवत्ता सूचकांक 450 के अंक पर रहा। दिल्ली के ज्यादातर इलाकों का सूचकांक 400 से ऊपर है, जबकि कई निगरानी केन्द्र तो ऐसे हैं, जहां 450 से भी ज्यादा है।
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जहांगीरपुरी रहा सबसे प्रदूषित
जहांगीरपुरी में सबसे खराब स्थिति जहांगीरपुरी इलाका गुरुवार को सबसे ज्यादा प्रदूषित रहा। यहां एक्यूआई 480 के अंक पर रहा, जबकि बवाना, नरेला, आनंद विहार, पटपड़गंज जैसे हिस्सों में भी यह 450 से ऊपर रहा। बतादें कि वायु गुणवत्ता सूचकांक 401 से 450 तक रहने पर उसे गंभीर श्रेणी में रखा जाता है। जबकि, 450 से ऊपर होने पर उसे गंभीर या सीवियर प्लस श्रेणी में रखा जाता है। बतादें कि दिल्ली में इस साल तीन दिन ऐसे रहे जब एक्यूआई 400 से ऊपर रहा। इससे पहले 02 जनवरी को 404 अंक, 01 नवंबर को 424 जबकि गुरुवार को भी यह सूचकांक 450 अंक पर रहा।
वाहनों के धुएं की थी आधी हिस्सेदारी
दिल्ली में इस बार दीपावली के दौरान प्रदूषण की मुख्य वजह वाहनों से निकलने वाला धुआं रहा। विज्ञान एवं पर्यावरण केन्द्र के हालिया विश्लेषण के मुताबिक, दीपावली सप्ताह के दौरान प्रदूषण में वाहनों के धुएं की हिस्सेदारी 50 फीसदी के आसपास रही। दीपावली के आसपास यानी 21 से 26 अक्तूबर के बीच स्थानीय स्रोतों से पैदा होने वाले पीएम 2.5 प्रदूषकों में वाहनों के धुएं का योगदान लगभग आधा रहा है। यह 49.3 फीसदी से 53 फीसदी के बीच रही।