Noida News: लूट और चोरी के मोबाइल पार्ट्स से बनाते थे i PHONE, 2 करोड़ के 350 मोबाइल फोन बरामद, 60% कम दाम पर बचते थे

Noida Crime News: नोएडा थाना सेक्टर 20 पुलिस ने एक ऐसे गैंग का खुलासा किया है जो पुराने और अनआइडेंटी वाले आईफोन व अन्य कीमती मोबाइल फोन को क्षत-विक्षत करके दोबारा से उसे असेंबल करता था और विदेशों से आयात कर नया फोन बनाकर मार्केट रेट से आधे और सस्ते दामों पर बेच देता था।
पुलिस ने ऐसी फैक्ट्री का भंडाफोड़ करते हुए एक आरोपी को गिरफ्तार किया है। इस पूरे आपरेशन में जीएसटी की टीम भी शामिल हुई। इनके पास से 2 करोड़ कीमत के 350 अवैध मोबाइल फोन, 01 लैपटॉप व रिपेयरिंग का सामान मिला है। इसकी पहचान दिवाकर शर्मा पुत्र राकेश कुमार शर्मा निवासी अलीगढ़ हुई है। ये नोएडा के थाना सेक्टर-20 क्षेत्र के सेक्टर-8 के बी-21 में इनफोर्सल टेक्नोलॉजी प्राइवेट लिमिटेड नाम की कंपनी चला रहा था।
डीसीपी हरीश चंदर ने बताया कि ये काम करीब पांच साल से किया जा रहा था। इससे पहले ये एचसीएल, डेल आदि कंपनी के अधिकृत सर्विस सेंटर के तौर पर लैपटॉप रिपेयरिंग का कार्य करता था। उक्त कंपनी के मालिक सौमित्र गुप्ता निवासी दिल्ली, डायरेक्टर अरूण भा दास निवासी ग्रेटर नोएडा है।
उन्होंने बताया कि आरोपी विदेशों से विभिन्न कंपनियों के मोबाइल फोनों को आयात करते थे। इसके बाद कंपनी की डिटेल व एमआरपी प्रिंट किए बिना ही अपनी कंपनी इनफोर्सल टेक्नोलॉजी प्राइवेट लिमिटेड का ब्रांड नेम एक्स्ट्रा कवर की पैकिंग में बिना बिल के बेचते थे। ये लोग एनसीआर में बिना आईडी व बिल के पुराने फोन खरीदकर उनके पार्टस से नया मोबाइल बनाते थे और बेचते थे।
इन मोबाइल की ये गारंटी नहीं देते थे। जो भी मोबाइल यहां से खरीदे जाते थे। उनकी सर्विस मोबाइल कंपनियों के अधिकृत सर्विस सेंटर पर नहीं होती है, बल्कि ग्राहकों को इन्हीं के सर्विस सेंटर पर आना पड़ता था।
पांच करोड़ की जीएसटी चोरी
रेड के दौरान पुलिस ने इसकी जानकारी जीएसटी विभाग को दी। जीएसटी और कस्टम टीम मौके पहुंची। प्राथमिक जांच में करीब पांच करोड़ रुपए की जीएसटी चोरी की बात सामने आई। इनकी बैलेंस शीट और अकाउंट और बिलिंग की डिटेल की जा रही है।
चोरी और लूट के मोबाइल से बनाते थे नया फोन
इनके पास से एक रजिस्टर बरामद हआ है। जिसमें एनसीआर से अवैध मोबाइल खरीदे जाने वालों का केवल नाम अंकित है। संभवतः यह सभी मोबाइल कही न कहीं लूट,चोरी के हैं।
क्योंकि इन मोबाइल के वास्तविक स्वामी की डिटेल नहीं लिखी है। और न ही इनके पास कोई खरीद आदि की रसीद है। जिससे वास्तविक स्वामी का पता किया जा सके। साथ ही साथ इनके द्वारा अलग-अलग व्यक्तियों से ऑनलाइन फोन खरीदे जाते है। जिसका कोई भी विवरण इनके पास मौजूद नहीं है।
एक लाख का फोन 40 हजार बेचते थे
ये अलग-अलग फोन के पार्टस निकालकर एक नया फोन तैयार करते थे। जिसकी कीमत बाजार की कीमत से 50-60 प्रतिशत कम होती थी। इसका कोई भी बिल ग्राहक को नहीं दिया जाता था।
साथ ही साथ उस फोन की वास्तविक पैकिंग भी गायब रहती थी । जैसे किसी फोन की बाजार में कीमत एक लाख रुपए है तो इनके द्वारा इसको 35-40 हजार रुपए में बेचा जाता था। इनके यहां काम करने वाले लोगों ये बस 20 से 25 दिन के लिए काम रखते थे। ताकि कोई इनके काम को परख न सके।